Rupee Vs Dollar: क्या डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत कर सकते हैं RBI के पूर्व गवर्नर? जानें किसने दी सलाह
सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई में रघुराम राजन डॉलर के मुकाबले रुपया को मजबूत कर सकते हैं? जब रघुराम राजन आरबीआई के गर्वनर थे, तब रुपये की क्या स्थिति थी? आइए जानते हैं.
डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है। बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। यह 61 पैसे की गिरावट के साथ 83 के पार यानी 83.01 पर बंद हुआ। यह पहली बार है जब एक डॉलर की कीमत 83 रुपये के पार हुई है। इसको लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम का एक बयान भी आया है। उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह दी। उन्होंने कहा कि अगर डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूत करना है तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन से सलाह लेनी चाहिए।
सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई में रघुराम राजन डॉलर के मुकाबले रुपया को मजबूत कर सकते हैं? जब रघुराम राजन आरबीआई के गर्वनर थे, तब रुपये की क्या स्थिति थी? आइए जानते हैं.
पहले जानिए पी. चिदंबरम ने क्या कहा?
चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मोदी को सलाह दी। बोले, 'प्रधानमंत्री से मेरा निवेदन है कि रुपये में यदि सुधार चाहते हैं तो उन्हें इस पर विचार करने के लिए तुरंत डॉ रघुराम राजन, डॉ सी रंगराजन, डॉ वाई वी रेड्डी, डॉ राकेश मोहन और श्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया की बंद कमरे में बैठक बुलानी चाहिए। इस बैठक में वित्त मंत्री, आरबीआई गवर्नर और अधिकारी भी मौजूद होने चाहिए।'
चिदंबरम ने अपने ट्विट में आगे लिखा कि सरकार रुपये के मूल्य में लगातार गिरावट के खिलाफ असहाय दिख रही है। गिरते रुपये का असर मुद्रास्फीति, चालू खाता घाटे और ब्याज दरों पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार को देश के पूर्व अर्थशास्त्रियों से अनुभव लेने की जरूरत है। बता दें कि रंगराजन, वाईवी रेड्डी और रघुराम राजन आरबीआई के पूर्व गवर्नर रहे हैं। राकेश मोहन डिप्टी गवर्नर गवर्नर रहे हैं। वहीं, मोंटेक सिंह अहलूवालिया यूपीए सरकार के दौरान योजना आयोग के उपाध्यक्ष थे।
अब जानिए रघुराम राजन के समय डॉलर के मुकाबले रुपये की क्या स्थिति थी?
रघुराम राजन रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर थे। उनका कार्यकाल 2013 से 2016 के बीच रहा। चार सितंबर को जब उन्होंने आरबीआई के गवर्नर का पद जॉइन किया तब एक डॉलर की कीमत 67.03 रुपया थी। इसके बाद 2014 तक ये घटकर 63.17 रुपया हो गई। मतलब इस दौरान रुपए की स्थिति में काफी सुधार हुआ। 2015 में फिर से रुपया की स्थिति कमजोर होने लगी और एक डॉलर की कीमत 63.17 से बढ़कर 66.16 रुपये पहुंच गई। 2016 में ये स्थिर बनी रही और जब रघुराम राजन डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है का कार्यकाल खत्म हुआ यानी चार सितंबर 2016 को एक डॉलर की कीमत 66.67 रुपए थी। मतलब राजन के तीन साल के कार्यकाल में रुपया सुधार की तरफ भी बढ़ा और फिर 2013 की स्थिति के करीब आकर ही रुक गया।
अब 2016 से 2018 के बीच के आंकड़े भी देख लेते हैं, जब उर्जित पटेल गवर्नर थे। उन दो वर्षों में एक डॉलर की कीमत 67.19 रुपये से बढ़कर 69.79 रुपये पहुंची थी। मतलब दो साल में डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है भारतीय करंसी 2.6 रुपया कमजोर हुई।
इसके बाद 2019-2020 में कोरोनाकाल के दौरान सबसे ज्यादा भारतीय मुद्रा को नुकसान पहुंचा। एक साल के अंदर डॉलर के मुकाबले रुपया करीब चार रुपये तक गिरा। 2019 में एक डॉलर की कीमत 70.42 रुपया थी, जो 2020 तक 74.10 रुपये पहुंच गई। 2021 में इसमें सुधार देखने को मिला और एक डॉलर की कीमत 74.10 से घटकर 73.91 रुपया पहुंच गई। इस साल इसमें सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। अब एक डॉलर की कीमत 83.01 रुपया पहुंच गई है। आंकड़ों को देखें तो रुपये का सतत अवमूल्यन जारी है। बीते कुछ दिनों से इसमें तेजी आई है।
कैसे मजबूत हो सकता है रुपया?
इसे समझने के लिए हमने आर्थिक मामलों के जानकार प्रो. प्रदीप जोशी से बात की। वह कहते हैं, 'यह सही है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति लगातार खराब हो रही है, लेकिन अच्छी बात ये है कि अन्य देशों की मुद्रा के मुकाबले इसमें सुधार भी हुआ है। मसलन पाउंड, यूरो व अन्य मजबूत देशों की करंसी के आगे भारतीय रुपये की स्थिति ठीक हुई है।'
प्रो. जोशी आगे कहते हैं, 'अभी पूरी दुनिया कोरोना और रूस-यूक्रेन युद्ध के दुष्प्रभाव से जूझ रही है। ऐसे में भारत कैसे इससे बचा रह सकता है? अभी भारत के पास विदेशी मुद्रा में कमी आ रही है। इसमें बढ़ोतरी होगी तो डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा अपने आप मजबूत हो जाएगा।'
कैसे रुपये की कीमत घटती और बढ़ती है?
प्रो. जोशी ने बताया, 'हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेन-देन करता है। विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा की चाल तय होती है। अगर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर है तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं। भारत ने 1975 में इस सिस्टम को अपनाया।'
डॉलर के मुकाबले रुपया तभी मजबूत होगा जब हम कम विदेशी मुद्रा खर्च करें और ज्यादा हासिल करें या फिर अगर हम कोई सामान आयात करने के लिए 100 डॉलर खर्च करते हैं, तो इतने का सामान निर्यात भी करें। इससे विदेशी मुद्रा स्थिर होगी और रुपया भी मजबूत होगा।
1948 में बराबर थे डॉलर और रुपया
रुपया आजादी से पहले डॉलर के मुकाबले मजबूत था। असल में तब सभी अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं का मूल्य सोने-चांदी से तय होता था। इसके बाद ब्रिटिश पाउंड और विश्व युद्धों के बाद से अमेरिकी डॉलर उस भूमिका में है। वैसे आजादी के बाद यानी 1948 में एक डॉलर-1.3 रुपए के बराबर ही था। 1975 में डॉलर का मूल्य 8.39 रु., 2000 में 43.5 रु. हो गया। 2011 में इसने पहली बार 50 का आंकड़ा पार किया।
वित्त मंत्री के बयान पर आप सांसद बोले – ऐसे ज्ञानियों से छुट्टी लेलो भाई, यूजर्स ने दिए ऐसे जवाब
वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रुपये में गिरावट को लेकर सवाल पूछा गया तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय रुपया गिर नहीं रहा, बल्कि डॉलर निरंतर मजबूत हो रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो सोर्स: @SANDHUTARANJITS)
अमेरिका दौरे पर गईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान डॉलर के मुकाबले रूपये की गिरती कीमत पर बयान दिया, जिस पर विपक्ष के नेताओं ने जमकर वित्त मंत्री की खिंचाई की। सोशल मीडिया पर निर्मला सीतारमण के इस बयान की खूब चर्चा हुई। अब आप नेता और राज्यसभा सांसद ने भी वित्त मंत्री के बयान का जिक्र कर तंज कसा है।
संजय सिंह ने निर्मला सीतारमण पर कसा तंज
एक सभा को संबोधित करते हुए संजय सिंह ने कहा है कि मोदी जी से चार गुना आगे वित्त मंत्री जी निकल गई हैं। रूपये की गिरवाट पर उन्होंने कहा कि रुपया गिर नहीं रहा है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है। मतलब वो कह रही हैं कि पेट्रोल महंगा नहीं हुआ, डीजल महंगा नहीं है, दवाई महंगी नहीं हुई है। उन्होंने तो बस महंगाई बढ़ाई है। अगर आप महंगाई नहीं झेल पा रहे हैं तो डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है ये आपकी कमी है।
“हम रो नहीं रहे बल्कि आंसू रोकने की क्षमता कम ही गई है”
संजय सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री का ये ज्ञान सुनकर हमने कहा कि हां, वित्त मंत्री जी, हम रो भी नहीं रहे हैं बस हमारे अन्दर आंसू रोकने की क्षमता कम हो गई है। संजय सिंह ने कहा कि ऐसे ज्ञानियों से छुट्टी ले लो मेरे भाई, इन्होंने देश को बर्बाद कर दिया है। संजय सिंह का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
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@sa_123456_as यूजर ने लिखा कि भ्रष्टाचार नहीं बढ़ा है। केवल रिश्वत लेने वालों की जनसंख्या बढ़ी है। दिल्ली और पंजाब में डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है डीजल-पेट्रोल से राज्य सरकार अगर अपना कर हटा दे तो खुद 20/25 रुपया सस्ता हो जाएगा। @nirdesh_samant यूजर ने लिखा कि पूरा विश्व मंदी की तरफ जा रहा है, कुछ देशों में मुद्रास्फीति दर 50-60% है। @Parveen03178391 यूजर ने लिखा कि अगर उत्तर प्रदेश में बाजरा ₹18 किलो है और वही बाजरा दिल्ली में ₹30 किलो बिकता है तो बताओ कौन चोर है?
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर हैं। इसी दैरान वह वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रुपये में गिरावट को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारतीय रुपया गिर नहीं रहा, बल्कि डॉलर निरंतर मजबूत हो रहा है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये की गिरावट को थामने के लिए सबसे अच्छे उपाय कर रहा है।
डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती
नई दिल्ली। देसी करेंसी रुपए में बुधवार को डॉलर के मुकाबले मजबूती आई। डॉलर के मुकाबले रुपया पिछले सत्र यानी सोमवार की क्लोजिंग के मुकाबले 27 पैसे की बढ़त के साथ 73.81 रुपए प्रति डॉलर के भाव पर खुलने के बाद 73.89 रुपए प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा था। हालांकि आरंभिक कारोबार के दौरान रुपया 73.97 से लेकर 72.81 के बीच बना रहा।
बाजार के जानकार बताते हैं कि दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकतें मौजूदा परिस्थितियों से निपटने के लिए राहत पैकेज ला सकती हैं और इस संबंध में विचार किया जाने लगा है, जिसके कारण प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर कमजोर हुआ है और भारतीय करेंसी में भी मजबूती आई है। बता दें कि कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में उथल-पुथल और कच्चे तेल को लेकर छिड़ी कीमत जंग के कारण विगत दिनों डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 74 रुपए प्रति डॉलर को पार कर गया था।
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मतलब एक डॉलर का मूल्य 74 रुपए से अधिक हो गया था, लेकिन बुधवार को देसी करेंसी में मजबूती दर्ज की गई। इससे पहले सोमवार को रुपया 29 पैसे टूटकर 74.08 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। मंगलवार को होली के त्योहार के अवसर पर अवकाश होने के कारण देश का मुद्रा बाजार बंद रहा। उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में सोमवार को करीब 29 साल की सबसे बड़ी गिरावट के बाद बीते दो दिनों से रिकवरी आई है
। उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूरो समेत कुछ मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के कमजोर होने के कारण दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत का सूचक डॉलर इंडेक्स नीचे फिसला है। डॉलर इंडेक्स पिछले सत्र से 0.27 फीसदी फिसलकर 96.12 पर बना हुआ था, जबकि यूरो पिछले सत्र से 0.43 फीसदी की मजबूती के साथ 1.13 डॉलर प्रति यूरो पर कारोबार कर रहा था।
रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिरा, जानिए क्या है नुक़सान
डॉलर के मुक़ाबले रुपये के लगातार कमजोर होने के क्या मायने हैं? इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को किस तरह का नुक़सान होता है?
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डॉलर के मुक़ाबले रुपया गुरुवार को रिकॉर्ड 77.73 के स्तर पर कमजोर होकर बंद हुआ। यह पिछले दस कारोबारी सत्रों में पांचवां रिकॉर्ड कमजोर स्तर पर बंद हुआ है। घरेलू इक्विटी में नकारात्मक रुझान और विदेशी फंड के बाहर जाने के कारण ऐसा हुआ है। रुपये के कमजोर होने का मतलब है कि पहले जितना ही सामान आयात करने के लिए अधिक क़ीमत चुकानी पड़ रही है।
रुपये का कमजोर होना आज भी तब जारी रहा जब दुनिया भर के शेयर बाज़ार लुढ़के हैं। शेयर बाज़ार में यह गिरावट होना मुख्य तौर पर दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के सख़्त नीतिगत फ़ैसले के कारण बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि महंगाई को काबू करने के उन बैंकों के प्रयासों से विकास में बाधा आ सकती है और इस वजह से बाजार आशंकित हैं।
बहरहाल, रुपया का नुक़सान आज बढ़ा। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले 10 पैसे की गिरावट के साथ 77.72 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। हालाँकि ब्लूमबर्ग ने यह आँकड़ा 77.73 का दिया है।
रुपये के कमजोर होने का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर होता है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं। रुपये में कमजोरी का मतलब है कि अब देश को उतना ही सामान खरीदने के लिए ज़्यादा रुपये ख़र्च करने पड़ेंगे। आयात वाले सामान महंगे होंगे। इसमें कच्चा तेल, सोना जैसे आयात होने वाले सामान शामिल हैं।
दरअसल हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वे आयात-निर्यात करते हैं। विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा पर असर पड़ता है। अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है। यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत है या कमजोर।
कारोबारी सत्र के दौरान रुपया दिन के निचले स्तर 77.76 के उच्च स्तर को छू गया। बुधवार को रुपया 18 पैसे की गिरावट के साथ 77.62 पर बंद हुआ था।
इससे पहले 9 मई को जब रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँचा था तब लोगों डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी को उनके पुराने भाषण याद दिलाए थे। युवा कांग्रेस के नेता श्रीनिवास बीवी ने प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने से पहले के एक भाषण को ट्वीट करते हुए तंज में लिखा था, 'ओ माई गॉड! मोदी जी किसकी आबरू गिरने के बारे में यहाँ बात कर रहे हैं?'
मोदी जी किसकी आबरू गिरने
के बारे में यहां बात कर रहे है? pic.twitter.com/lBQqvlnCgF
ऐसी ही प्रतिक्रयाएँ आज भी लोगों ने दीं।
बता दें कि गुरुवार को शेयर बाज़ार भी औंधे मुंह गिरा है। 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 1,416.30 अंक यानी 2.61 प्रतिशत की गिरावट के साथ 52,792.23 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 430.90 अंक यानी 2.65 प्रतिशत गिरकर 15,809.40 पर बंद हुआ। स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक बुधवार को पूंजी बाजार में शुद्ध विक्रेता थे, क्योंकि उन्होंने 1,254.64 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की।
रुपया कमजोर नहीं डॉलर मजबूत!
नई दिल्ली। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपए की कीमत में लगातार हो रही गिरावट पर कहा है कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है। उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया में बड़ा मजाक बन रहा है। भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी इस बयान के लिए उनका मजाक बनाया है। उन्होंने उनके बयान का संदर्भ देते हुए ट्विट किया है, ‘हम हारे नहीं हैं, विपक्षी टीम जीत गई है’।
बहरहाल, अमेरिका के दौरे पर गईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में यह बात कही। ध्यान रहे डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट आई है और एक डॉलर की कीमत 82 रुपए से ज्यादा हो गई है। इस बारे में पूछे जाने पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि रुपया कमजोर नहीं, बल्कि डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा है कि रुपए ने अन्य उभरती मार्केट करेंसी की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की सालाना बैठकों में हिस्सा लेने के लिए वित्त मंत्री अमेरिका के दौरे पर हैं। इसी दौरान वॉशिंगटन डीसी में एक प्रेस कांफ्रेंस में उनसे रुपए में लगातार गिरावट को लेकर सवाल पूछा गया। इस सवाल के जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा- सबसे पहले तो मैं इसे ऐसे नहीं देखती हूं कि रुपया गिर रहा है। मैं इसे देखती हूं कि डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। इसलिए स्वाभाविक रूप से वे करेंसीज कमजोर होंगी, जिसकी तुलना में डॉलर मजबूत हो रहा है। उन्होंने आगे कहा- भारतीय रुपया दूसरे उभरते बाजारों की करेंसी की तुलना में काफी अच्छा परफॉर्म कर रहा है। हालांकि, रिजर्व बैंक रुपए में गिरावट को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है।
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